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क्या आपका पैसा सुरक्षित है?

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नई दिल्ली। फंसे कर्जों और भारी नुकसान होने के बाद बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,44,093 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किया है। बैंकों ने पिछले साल के मुकाबले 61.8 प्रतिशत ज्यादा राशि इस खाते में डाली है। पिछले साल बैंकों द्वारा 89,048 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले गए थे।

एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से पिछले 10 सालों में निजी और सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों ने 31 मार्च 2018 तक 4,80,093 करोड़ रुपये के बैड लोन बट्टा खाते में डाले थे। इस राशि का 83.4 प्रतिशत या 400,584 करोड़ रुपये पब्लिक सेक्टर बैंकों का था।

गौरतलब है कि बैंक सामान्यतया उन कर्जों को राइट आॅफ या बट्टा खाते में डालते हैं जिनकी वसूली करना उनके लिए मुश्किल होता है।

कॉरपोरेशन बैंक के पूर्व चेयरमैन प्रदीप रामनाथ के मुताबिक, यह बैंकों की एक नियमित प्रकिया है. जब बैड लोन को राइट आॅफ किया जाता है तो वह बैंक के बही खाते से बाहर चला जाता है। इससे बैंक को कर लाभ मिलता है। हालांकि, कर्ज के बट्टा खाते में जाने के बाद भी बैंक वसूली उपायों को जारी रखते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने 2017-18 में 40,281 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले जबकि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने 7,407 करोड़ रुपये और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 10,307 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले।