आगरा। ताजमहल भारत की अकेली ऐतिहासिक धरोहर है। जो दुनिया के अजूबों मे से एक है। अगर इस अनमोल विरासत को सहेजे रखने के लिए अभी से युद्धस्तर पर प्रयास नहीं किए जाते तो वो दिन दूर नहीं जब इसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाता।
ताज की बदहाली और इसके लगातार ‘पीले’ होते जाने पर सुप्रीम कोर्ट यूहीं ‘लाल’ नहीं हुआ। बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के संरक्षण में लापरवाही पर केंद्र सरकार, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) और यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि प्रशासन या तो ताजमहल की ढंग से हिफाजत करे या इसे बंद कर दे। सुप्रीम कोर्ट के इस कड़े रुख का असर भी हुआ है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में दिल्ली में अहम बैठक हुई और धरोहरों के संरक्षण के लिए 100 साल के विजन डॉक्यूमेंट को लाने का फैसला हुआ।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ताज को बचाने के लिए कोई एक्शन ना होने पर नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही साफ किया था कि 31 जुलाई से इस मामले पर नियमित सुनवाई होगी। गडकरी की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई बैठक में संस्कृति राज्य मंत्री महेश शर्मा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री हर्षवर्धन ने भी हिस्सा लिया।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। बता दें कि गडकरी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी और जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनर्जीवन विभागों की जिम्मेदारी है। गडकरी ने कहा कि केंद्र ताज को संरक्षित रखने के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का सम्मान करता है और ताजमहल के आस-पास जल और वायु प्रदूषण से निपटने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।
गडकरी ने ये भी बताया कि आगरा शहर में औद्योगिक प्रदूषण पर निगरानी के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। केंद्र सभी संबंधित हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) के साथ बात करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगा।