देहरादून। बहुचर्चित दौलत राम ट्रस्ट की 700 बीघा जमीन घोटाले की जांच एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। इस बार जमीन घोटाले में जून 2020 गठित की गई एसआईटी के अधिकारी कहीं नजर नहीं आ रहे है। एसआईटी के आईपीएस अफसर सहित टीम के अन्य अधिकारी ट्रांसफर होने के चलते अलग-अलग जगह पर तैनात हैं। ऐसे में यह जांच फिलहाल ठंडे बस्ते में नजर आ रही है।
दून के पुलिस कप्तान डॉक्टर योगेंद्र सिंह रावत ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी मांगी है कि मुख्यालय एसआईटी के तीन अधिकारी अधिकारियों का पहले ही ट्रांसफर किया जा चुका है, ऐसे में इस हाईप्रोफाइल जमीन फर्जीवाड़े की जांच कैसे आगे बढ़ाई जाए और अब जांच टीम में किस अधिकारी को शामिल किया जाए। जानकारी के अनुसार माजरा आईएसबीटी के पास साल 1980 से 82 के बीच दौलत राम ट्रस्ट की भूमि को एक षड्यंत्र के तहत खुर्दबुर्द किया गया था। अधिवक्ता राजेश सूरी ने देहरादून के दौलत राम ट्रस्ट भूमि घोटाले का पर्दाफाश किया था। शिकायतकर्ता रीता सूरी के अनुसार नैनीताल हाईकोर्ट ने 8 जून, 2020 को उत्तराखंड शासन ने इस मामले को 3 महीने में निस्तारण का आदेश दिए था। तत्कालीन देहरादून एसएसपी अरुण मोहन जोशी के नेतृत्व में चार एसपी लोक जीत सिंह, सीओ सिटी शेखर सुयाल, इंस्पेक्टर नत्थी लाल उनियाल और इंस्पेक्टर महेश प्रसाद पूर्ववाल की टीम बनाई गई थी। वर्तमान में सीओ सिटी को छोड़कर सभी अधिकारियों का ट्रांसफर हो चुका है। रीता सूरी के अनुसार इस हाईप्रोफाइल मामले को लगातार दबाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में उत्तराखंड गृह विभाग ने इस केस को देहरादून पुलिस को जल्द से जल्द निस्तारित करने के आदेश दिए हैं।