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धामी का प्रदेश से वादा ‘यूसीसी’ सदन में हुआ पेश

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देहरादून-: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रदेश वासियो से जो वादा किया था उसको धरातल पर उतारने को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आज सदन में उक्त यूसीसी को विधेयक के रूप में पेश कर प्रदेश के हर एक नागरिक को एक समान कानूनी अधिकार देने की दिशा में अपना दूसरा कदम रख दिया है जस्टिस(सेवानिवृत्त) रंजना देसाई द्वारा तैयार यूसीसी का प्रारूप समान नागरिकता संहिता,2024 विधेयक पेश करने को आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी कैबिनेट के साथ विधानसभा पहुँचे। उन्होंने विधानसभा में प्रवेश करने के दौरान हाथों में भारतीय संविधान को हाथों में लिया हुआ था।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आज सदन में कुल 202 पन्नों का विधेयक समान नागरिकता संहिता,2024 पेश किया गया है।समान नागरिकता संहिता में कुल 392 धाराएं दी गयी है,जिनको चार भाग में बांटा गया है। संहिता में कुल 7 सूचियां(शेड्यूल) दी गयी है।समान नागरिकता संहिता,2024 में पहले भाग में विवाह व विवाह विच्छेद को बताया गया है व उसे 7 अध्यायों में उससे जुड़े कानून बनाये गए है। दूसरे भाग में उत्तराधिकार को जगह दी गयी है,जिसे 7 अध्यायों में विश्लेषित किया गया है। तृतीय भाग में सहवासी सम्बन्ध(लिव-इन रिलेशनशिप) के बारे में व उससे जुड़े कानून,उससे जुड़ी संतान की उत्पत्ति पर उस बच्चे को कानूनी,संपत्ति अधिकार, सहवासी सम्बंध का पंजीयन,पंजिकाओं का रखरखाव,सहवासी संबंध की समाप्ति, भरण पोषण आदि को विस्तृत रूप से बताया है। चौथे भाग में विविध को जगह दी गयी है।विधयेक में इस्तेमाल की जाने वाली शब्दावली, नियम कानून ,प्रशासन,सरकार आदि से जुड़े शब्दो को आम जनता को परिभाषित करते हुए आईपीसी की भांति प्रारंभिक से यूसीसी की शुरुआत की गई है। जिसके उपरांत एक के बाद एक भाग अनुसार सभी कानूनों को बताया गया है।मुख्यमंत्री धामी ने सदन को सम्बोधन में बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिकता संहिता का उल्लेख है ,जिसके तहत राज्य भारत के समस्त राजक्षेत्र में नागरिक के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा। इसलिए उनके व उनकी सरकार द्वारा अनुच्छेद 44 के तहत प्रदेश के हर एक नागरिक को विवाह,उत्तराधिकार के मामलों में एक समान अधिकार देने को उक्त विधेयक को पेश किया जा रहा है।गौर करने वाली बात यह है कि इस संहिता के नियम व कानूनों से प्रदेश की अनुसूचित जनजाति को बाहर रखा गया है, इस संहिता के कोई भी नियम व कानून उनपर लागू नही होंगे। जस्टिस(सेवानिवृत्त) रंजना देसाई की समिति द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 25 व अनुच्छेद 342 में उल्लेखित अनुसूचित जनजाति को इन नियमो से बाहर रखने की पेशकश की है।
मुख्यमंत्री द्वारा उक्त विधेयक को सदन में बहस व विचार विमर्श के लिए पेश किया गया है। अगर मुख्यमंत्री धामी सरकार के इस विधेयक पर सदन की मोहर लग जाती है तो सरकार द्वारा इसे लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राज्य में लागू किया जाएगा,इसकी सम्भवना प्रबल है। अगर ऐसा होता है देश मे समान नागरिकता संहिता लागू करने वाले उत्तराखंड गोवा के बाद दूसरा राज्य होगा।