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प्राणायाम: श्वास साधना से संपूर्ण आरोग्यता का मार्ग

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डा०राजीव कुरेले
एसोसिएट प्रोफेसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून
(सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक)

देहरादून। हमारे प्राचीन ऋषियों ने हजारों वर्ष पहले ही यह रहस्य खोज लिया था कि मनुष्य के जीवन की असली शक्ति उसके भीतर ही छुपी है — और उसका सबसे बड़ा साधन है श्वास। योग शास्त्रों में इस श्वास साधना को ‘प्राणायाम’ कहा गया है। ‘प्राण’ का अर्थ है जीवनदायिनी ऊर्जा और ‘आयाम’ का अर्थ है उसका विस्तार। अर्थात प्राणायाम वह प्रक्रिया है जिससे हम अपनी आंतरिक जीवनशक्ति का विस्तार कर शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ एवं संतुलित बना सकते हैं।

आज के समय में जब दुनिया तमाम तरह की बीमारियों, तनाव, मोटापा, उच्च रक्तचाप, अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे में प्राणायाम एक अत्यंत सरल, सुलभ और प्रभावी उपाय बनकर उभरा है। योगगुरु बाबा रामदेव से लेकर तमाम चिकित्सा वैज्ञानिक तक इसके चमत्कारिक प्रभावों की पुष्टि कर चुके हैं।

प्राणायाम के लाभ: शरीर, मन और आत्मा के लिए अमृत

1. श्वसन तंत्र मजबूत बनता है

प्राणायाम करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होती है। इससे सांस लेने की ताकत बढ़ती है और फेफड़ों के भीतर तक शुद्ध ऑक्सीजन पहुँचती है। खासकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं में यह बेहद फायदेमंद है।

2. रक्त परिसंचरण दुरुस्त होता है

प्राणायाम से शरीर के हर अंग में रक्त और ऑक्सीजन का संचार बेहतर होता है। इससे थकान, कमजोरी, सिरदर्द जैसी समस्याएं स्वतः दूर होने लगती हैं। हृदय रोगियों के लिए भी यह एक वरदान है।

3. मानसिक संतुलन और एकाग्रता में वृद्धि

लगातार प्राणायाम करने से मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे याददाश्त बढ़ती है, एकाग्रता में सुधार आता है और चिंता, तनाव, अवसाद जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं से राहत मिलती है।

4. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है

विशेषज्ञ मानते हैं कि प्राणायाम करने वालों में सर्दी-जुकाम, वायरल संक्रमण जैसी समस्याएं बेहद कम होती हैं। कोरोना महामारी के समय भी जिन लोगों ने नियमित प्राणायाम किया, वे अधिक सुरक्षित रहे।

5. आत्मिक शांति का अनुभव

प्राणायाम केवल शरीर तक सीमित नहीं है। यह साधक को आत्मिक स्तर पर भी जागरूक करता है। नियमित अभ्यास से क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसी नकारात्मक भावनाएं कम होती हैं और भीतर शांति का संचार होता है।

प्राणायाम के समय ‘बंध’ का प्रयोग कैसे करें?

योगशास्त्र में ‘बंध’ का विशेष महत्व है। बंध का अर्थ है — शरीर की ऊर्जा को एक स्थान पर रोकना या तालाबंद करना। प्राणायाम में मुख्यतः तीन बंध लगाए जाते हैं —

  1. मूलबंध — मलद्वार व मूत्रद्वार की मांसपेशियों को संकुचित करना।
  2. उड्डीयान बंध — पेट को पूरी तरह भीतर खींचना।
  3. जालंधर बंध — ठुड्डी को छाती से लगाना।

विशेषकर ‘कुंभक’ (सांस रोकने) के समय इन बंधों का प्रयोग करने से साधक को गहरी ऊर्जा मिलती है।

प्रमुख प्राणायाम विधियाँ और उनके विशेष लाभ

1. अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन)

विधि:
दाहिनी नासिका बंद कर बाईं से श्वास लें। फिर बाईं बंद कर दाहिनी से छोड़ें। यही प्रक्रिया दूसरी ओर से दोहराएं। 5-10 मिनट प्रतिदिन करें।

लाभ:
 मन शांत होता है।
 उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है।
 अनिद्रा व तनाव से राहत मिलती है।

2. कपालभाति

विधि:
तेजी से नाक से सांस बाहर फेंकें, सांस स्वतः भीतर जाएगी। शुरुआत 5 मिनट से करें।

लाभ:
 पेट की चर्बी कम होती है।
 पाचन शक्ति बढ़ती है।
 शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।

सावधानी:
हृदय रोगी, उच्च रक्तचाप और हर्निया वाले चिकित्सक से पूछकर ही करें।

3. भस्त्रिका

विधि:
दोनों नासिकाओं से तेज गहरी सांस लें और तेज छोड़ें। 3-5 मिनट पर्याप्त।

लाभ:
 सर्दी, जुकाम, अस्थमा में लाभकारी।
 ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
 फेफड़ों की ताकत में वृद्धि।

4. उज्जायी

विधि:
गले से हल्की आवाज निकालते हुए सांस लें व छोड़ें। दोनों नासिकाओं से।

लाभ:
 थायरॉइड संतुलन।
 अनिद्रा व तनाव में लाभकारी।
 रक्तचाप नियंत्रित।

5. सूर्य भेदी

विधि:
दाहिनी नासिका से श्वास लें, बाईं से छोड़ें। 10-15 बार करें।

लाभ:
 शरीर में ऊष्मा का संचार।
 सर्दी-जुकाम में आराम।
 पाचन में सुधार।

सावधानी:
गर्मी में अधिक न करें।

6. चंद्र भेदी

विधि:
बाईं नासिका से श्वास लें, दाहिनी से छोड़ें। 10-15 बार।

  • लाभ:
  •  ठंडक व शीतलता का अनुभव।
  •  गुस्सा, ब्लड प्रेशर में आराम।
  • मानसिक संतुलन में वृद्धि।

शारीरिक तंत्रों पर प्राणायाम का वैज्ञानिक प्रभाव

नर्वस सिस्टम: तनाव कम, मानसिक शांति।
कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम: हृदय गति नियंत्रित, रक्तचाप सामान्य।
रेस्पिरेटरी सिस्टम: फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
एंडोक्राइन सिस्टम: थायरॉइड, पीनियल व एड्रिनल ग्रंथियों पर सकारात्मक असर।

सावधानियां अवश्य बरतें

  •  प्राणायाम खाली पेट या भोजन के कम से कम 4 घंटे बाद करें।
  • सांस को जबरन रोकने या छोड़ने का प्रयास न करें।
  •  अस्थमा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या गर्भावस्था में पहले विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें।
  • शांत, स्वच्छ व खुली जगह का चयन करें।

प्राणायाम: दवा नहीं, लेकिन दवा से भी अधिक असरदार

विशेषज्ञों के अनुसार यदि व्यक्ति प्रतिदिन केवल 15-20 मिनट भी प्राणायाम करता है, तो जीवनशैली से जुड़ी तमाम बीमारियां — जैसे मोटापा, मधुमेह, ब्लड प्रेशर, तनाव — स्वयं ही नियंत्रित हो सकती हैं।

योगाचार्यों का मत है कि यदि देश का हर नागरिक प्राणायाम को जीवन का हिस्सा बना ले तो न केवल दवाओं पर खर्च कम होगा बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य, ऊर्जा और दीर्घायु का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

प्राणायाम केवल व्यायाम नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जीवनशैली है। इससे मनुष्य न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है बल्कि मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक स्तर पर भी जागरूक बनता है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों इसकी महत्ता स्वीकार कर चुके हैं।

सांसों को साधिए, जीवन को स्वस्थ, ऊर्जावान और दीर्घजीवी बनाइए। यही है पूर्ण आरोग्य का सहज और श्रेष्ठ उपाय।

(यह लेख सामान्य जागरूकता के लिए है। किसी रोग विशेष की स्थिति में विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।)