– डॉ. रजनी गुप्ता, वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक एवं योगाचार्य, फूड एंड न्यूट्रिशन एक्सपर्ट
योग: भारत की अमूल्य देन – शरीर, मन और आत्मा का समन्वय
योग मात्र एक व्यायाम नहीं, बल्कि एक समग्र जीवनशैली है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से संतुलित बनाती है। यह जीवन में संतुलन, स्पष्टता और उद्देश्य का मार्ग प्रदान करता है।
योग की आवश्यकता – क्यों जरूरी है आज के दौर में योग?
आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली, तनाव, मानसिक अशांति, अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान ने शरीर और मन दोनों को विकृत कर दिया है।
ऐसे में योग:
मानसिक तनाव को दूर करता है
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
शरीर की आंतरिक ऊर्जा को जाग्रत करता है
आत्म-साक्षात्कार की ओर प्रेरित करता है
योग के प्रमुख तत्व
1. आसन – शरीर की स्थिरता और लचीलापन
2. प्राणायाम – श्वास नियंत्रण से ऊर्जा संतुलन
3. ध्यान (मेडिटेशन) – मानसिक शांति और एकाग्रता
4. यम और नियम – सामाजिक और व्यक्तिगत अनुशासन
5. धारणा और समाधि – ध्यान की उच्च अवस्थाएँ

योग के प्रकार
हठ योग – शारीरिक नियंत्रण एवं ऊर्जा संतुलन
राज योग – मानसिक अनुशासन का मार्ग
कर्म योग – निष्काम सेवा भाव
भक्ति योग – ईश्वर में श्रद्धा और समर्पण
ज्ञान योग – आत्मज्ञान और विवेक का मार्ग
अष्टांग योग: पतंजलि योगसूत्रों का सार
1. यम – अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
2. नियम – शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान
3. आसन – शरीर की स्थिरता और शक्ति
4. प्राणायाम – प्राण शक्ति का नियंत्रण
5. प्रत्याहार – इंद्रियों का संयम
6. धारणा – एकाग्रता
7. ध्यान – गहन मानसिक शांति
8. समाधि – परम चेतना से मिलन
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में योग की आवश्यकता एवं महत्व
Post-COVID युग में इम्यूनिटी बढ़ाने का सबसे सुरक्षित और प्राकृतिक उपाय
मानसिक अवसाद, अकेलेपन और चिंता को कम करने में बेहद कारगर
भारत ही नहीं, दुनिया भर के लोग योग को अपना रहे हैं — योग अब ग्लोबल है, लेकिन इसका मूल भारत है
योग का शरीर पर क्रियात्मक प्रभाव
मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं
पाचन क्रिया सुधरती है
रक्त संचार सुचारु होता है
हॉर्मोन संतुलन में मदद
हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क को ताकत मिलती है
रोगों के निवारण हेतु उपयोगी योगासन –
रोग- योगासन
डायबिटीज़ वक्रासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन
अस्थमा प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, कपालभाति
ब्लड प्रेशर शवासन, बालासन, नाड़ी शोधन
मोटापा त्रिकोणासन, सूर्य नमस्कार, पश्चिमोत्तानासन
डिप्रेशन ध्यान, ब्रह्मरी प्राणायाम, सुखासन
कमरदर्द मर्कटासन, भुजंगासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन
ध्यान क्या है? – संक्षिप्त परिचय
ध्यान (Meditation) एक गहन मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें मन को एकाग्रचित्त कर के वर्तमान क्षण में स्थिर किया जाता है। यह योग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो व्यक्ति को भीतर की यात्रा पर ले जाता है – शांति, संतुलन और आत्मबोध की ओर।
ध्यान का अर्थ और उद्देश्य
संस्कृत में ‘ध्यान’ शब्द की उत्पत्ति ‘धि’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ है – सोच, समझ, मनन या एकाग्रता।
ध्यान का उद्देश्य है:
मन की चंचलता को शांत करना
विचारों का नियंत्रण
आत्मनिरीक्षण व आत्मचेतना का विकास
मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद से मुक्ति
शुद्ध चेतना की अनुभूति
ध्यान कैसे करें – मूलभूत विधि
1. शांत वातावरण चुनें
2. आरामदायक मुद्रा में बैठें (जैसे पद्मासन, सुखासन)
3. आँखें बंद कर लें
4. श्वास पर ध्यान केंद्रित करें
5. विचारों को बिना रोके, केवल देखें
6. धीरे-धीरे ध्यान गहराता जाएगा
ध्यान के लाभ
मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में वृद्धि
तनाव और बेचैनी में कमी
स्मरण शक्ति और निर्णय क्षमता बेहतर होती है
भावनात्मक संतुलन प्राप्त होता है
आत्मविश्वास बढ़ता है
आइए! इस 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ पर एक साथ योग करें।
आयुष विभाग उत्तराखंड एवं डॉ. रजनी गुप्ता, वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सा एवं योगाचार्य का आप सभी से विनम्र आह्वान है कि आइए, योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।
#योगसेयोग #RajeevKurele #Ayuzon #InternationalYogaDay2025 #योगमहोत्सव #उत्तराखंड_योग #योगक्रांति #21JuneYogaDay #ViralYogaPost #योग_हर_घर_तक #FacebookTopPost #YogSeHoga #FitIndiaMovement #WellnessWithYoga
@highlight Rajni Gupta Rajeev Kurele