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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को दी योग दिवस की शुभकामनाएं, कहा – योग ने भारत को विश्व में नई पहचान दी

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को दी योग दिवस की शुभकामनाएं, कहा – “योग ने भारत को विश्व में नई पहचान दी”

देहरादून। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्त प्रदेशवासियों को 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि योग भारत की प्राचीन विरासत का ऐसा अनमोल उपहार है, जिसने न केवल देशवासियों को, बल्कि संपूर्ण विश्व को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा दिखाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि योग के माध्यम से मनुष्य न केवल रोगों से मुक्त हो सकता है, बल्कि अपने अंदर की सकारात्मक ऊर्जा को भी जागृत कर सकता है।

मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेशवासियों के नाम अपने संदेश में कहा कि योग साधना के कारण आज भारत को विश्व पटल पर एक अलग और विशिष्ट पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है, क्योंकि हमारी प्राचीन योग विद्या ने न केवल लोगों को तन-मन से स्वस्थ बनाया है, बल्कि उन्हें जीवन जीने की नई दिशा भी दी है।

“योग से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि संभव”

मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि योग भारत की प्राचीनतम और समृद्ध परंपरा का द्योतक है। हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने तप, साधना और ज्ञान से मानवता को यह अमूल्य धरोहर दी है। उन्होंने कहा कि योग केवल व्यायाम या आसन भर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी साधना है जो शरीर, मन और आत्मा को एकसाथ साधती है। योग के द्वारा व्यक्ति न केवल निरोगी बनता है, बल्कि मानसिक दृढ़ता, एकाग्रता तथा आत्मिक चेतना की ऊंचाइयों तक भी पहुंच सकता है।

उन्होंने कहा कि महान ऋषि पतंजलि ने योग के माध्यम से मानव जीवन को संतुलित और पूर्ण बनाने का मार्ग दिखाया। योग अभ्यास करने से जीवन में संतुलन, अनुशासन और आत्मसंतुष्टि का भाव उत्पन्न होता है।

“सनातन संस्कृति की पहचान है योग”

मुख्यमंत्री ने कहा कि योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मबोध की वह प्रक्रिया है जो मन को स्थिरता, धैर्य और संतुलन प्रदान करती है। योग चेतना की उन गहराइयों तक पहुँचाने का माध्यम है जहां से जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण, सृजनशीलता और सशक्तिकरण की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति का मूल स्तंभ योग ही है, जिसे आज पूरी दुनिया अपनाने लगी है। यही कारण है कि योग अब दुनिया के करोड़ों लोगों की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और इसके माध्यम से भारतीय जीवनशैली ने वैश्विक मंच पर अपना स्थान मजबूत किया है।

“प्रधानमंत्री मोदी ने दी थी वैश्विक पहचान”

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिये जो प्रस्ताव रखा था, उसे 177 देशों का समर्थन मिला और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के लिए गर्व का विषय है कि आज संपूर्ण विश्व योग के महत्व को समझ रहा है और भारत की इस प्राचीन साधना पद्धति को अपने जीवन में उतार रहा है।

“वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को साकार करता है योग”

मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति का मूल सिद्धांत “वसुधैव कुटुंबकम” है — यानी पूरा विश्व एक परिवार है। अनेकों वैश्विक चुनौतियों और षड्यंत्रों का सामना करने के बावजूद भारत ने कभी भी मानवीय मूल्यों और विश्व कल्याण के अपने पथ से विचलित नहीं हुआ। इसी विचारधारा के केंद्र में योग भी है, जो केवल व्यक्तिगत साधना न होकर समूची मानवता के कल्याण का मार्ग है।

“राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति से बढ़ेगा गौरव”

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के लिये यह गर्व का विषय है कि देहरादून के पुलिस लाईन में आयोजित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव कार्यक्रम में देश की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू स्वयं उपस्थित रहेंगी। उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड के लिए अत्यंत सम्मान और गौरव का क्षण होगा, जब महामहिम राष्ट्रपति के सान्निध्य में योग साधना का संदेश पूरे देश और विश्व में पहुँचेगा।

“योग से रोगमुक्त जीवन की ओर बढ़ रहा है उत्तराखंड”

मुख्यमंत्री ने कहा कि योग न केवल उत्तराखंड की देवभूमि की पहचान है, बल्कि यहां के जन-जन के जीवन में रचा-बसा है। राज्य सरकार का प्रयास है कि योग और आयुष को जन-आंदोलन बनाया जाए ताकि हर नागरिक स्वस्थ, निरोग और ऊर्जावान बन सके। उन्होंने कहा कि राज्य के स्कूलों, महाविद्यालयों, ग्राम पंचायतों और नगरीय क्षेत्रों में योग प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं ताकि युवाओं में भी योग को लेकर जागरूकता बढ़े।

मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि योग के माध्यम से उत्तराखंड न केवल “आयुष प्रदेश” के रूप में उभरेगा बल्कि “स्पिरिचुअल हब ऑफ वर्ल्ड” के रूप में भी अपनी अलग पहचान बनाएगा।