देहरादून-राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज देहरादून में राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति निकेतन का उद्घाटन किया। उन्होंने आगंतुक सुविधा केंद्र, कैफेटेरिया और सोविनियर शॉप सहित सार्वजनिक सुविधाओं का उद्घाटन किया और राष्ट्रपति निकेतन में राष्ट्रपति उद्यान की आधारशिला रखी। उन्होंने कल (19 जून, 2025) को राष्ट्रपति निकेतन में एक एम्फीथिएटर का भी उद्घाटन किया। देहरादून में राजपुर मार्ग पर स्थित राष्ट्रपति तपोवन, हिमालय की तलहटी के 19 एकड़ में विस्तारित राष्ट्रपति भू-सम्पदा का एक हिस्सा है और यह आध्यात्मिक आश्रय स्थल और पारिस्थितिकी संरक्षण को प्रोत्साहित करता है। यहां देशी वनस्पतियों से समृद्ध एक घने जंगल, तपोवन में 117 पौधों की प्रजातियां, 52 तितलियां, 41 पक्षी प्रजातियां और 7 जंगली स्तनधारी हैं, जिनमें कुछ संरक्षित प्रजातियां भी शामिल हैं। इस क्षेत्र में प्राकृतिक बांस के बाग़ और एकांत वनस्थली पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है। राष्ट्रपति निकेतन की स्थापना 1976 में राष्ट्रपति निवास के रूप में की गई थी। इसकी समृद्ध विरासत 1838 से चली आ रही है, जब यह एस्टेट गवर्नर जनरल के अंगरक्षक के लिए ग्रीष्मकालीन शिविर के रूप में कार्य करता था। यह 21 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें लिली तालाब, ऐतिहासिक इमारतें, बाग और अस्तबल शामिल हैं। 132 एकड़ में विस्तारित यह राष्ट्रपति उद्यान, सार्वजनिक पार्क, सुगमता और पारिस्थितिकी उत्तरदायित्व का एक मॉडल होने के साथ-साथ दिव्यांगजनों के लिए सार्वजनिक उद्यान के रूप में पूरी तरह से सुलभ होगा। इसका उद्देश्य नागरिकों के बीच स्वास्थ्य, संस्कृति और नागरिक गौरव को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक सहभागिता केंद्र बनना है। इस अवसर पर राष्ट्रपति निकेतन, राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति उद्यान की जैव विविधता पर एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। इस पुस्तक में राष्ट्रपति निकेतन, तपोवन और उद्यान की 300 से अधिक वनस्पतियों और 170 से अधिक जीवों की प्रजातियों का विवरण है, जिनमें तितलियाँ, पक्षी और स्तनधारी शामिल हैं। राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति निकेतन क्रमशः 24 जून और 1 जुलाई, 2025 से आम जनता के दर्शनार्थ खुले रहेंगे। राष्ट्रपति ने देहरादून में राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान का दौरा किया और छात्रों से वार्तालाप भी किया। उन्होंने मॉडल स्कूल विज्ञान प्रयोगशाला और कंप्यूटर प्रयोगशाला के साथ-साथ एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि किसी देश या समाज की प्रगति का आकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि उस समाज में लोग दिव्यांगजनों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। भारत का इतिहास संवेदनशीलता और समावेशिता के प्रेरक प्रसंगों से भरा पड़ा है। हमारी संस्कृति और सभ्यता में मानवीय करुणा और प्रेम के भाव हमेशा से शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुगम्य भारत अभियान के माध्यम से, जो एक सुलभ भौतिक वातावरण, परिवहन, सूचना और संचार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर जोर देता है, सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और समान भागीदारी के लिए प्रयास कर रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि आज का युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। उन्नत प्रौद्योगिकी की सहायता से दिव्यांगजन भी मुख्यधारा में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान समावेशी शिक्षा प्रणाली और नवीनतम तकनीकी संसाधनों के माध्यम से छात्रों के सर्वांगीण विकास पर विशेष बल दे रहा है। उन्होंने कहा कि समाज को जीवन के हर क्षेत्र में दिव्यांगजनों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास करने चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी मातृशक्ति की प्रतिमूर्ति हैं, जिनका जीवन समर्पण, सेवा और सशक्तीकरण का प्रेरणास्रोत है। इस अवसर पर राज्यपाल ने संस्थान के समर्पित शिक्षकगणों, प्रशिक्षकों और कर्मचारियों की सराहना की जो वर्षों से दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों के जीवन में प्रकाश और आत्मनिर्भरता का दीप प्रज्वलित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण जैसे संस्थान समावेशी, समानता-आधारित और करुणामय समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। राज्यपाल ने उपस्थित छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप सभी ने यह सिद्ध कर दिया है कि सामर्थ्य दृष्टि में नहीं, संकल्प में होता है। आपकी आत्मविश्वासपूर्ण प्रस्तुतियाँ राष्ट्र की नई चेतना और आत्मनिर्भर भारत के भाव को अभिव्यक्त करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि संस्थान में आधुनिक तकनीकों की मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को विज्ञान, गणित, कंप्यूटर, संगीत और खेल जैसी सह-शैक्षणिक गतिविधियों में दक्ष बनाया जा रहा है। यह डिजिटल समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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