शिव महापुराण कथा में कथावाचक पंडित जगदीश पैन्यूली ने पौराणिक प्रसंगों के जरिए समझाए जीवन के मूल्य
रुड़की।शिव महापुराण कथा में कथावचक आचार्य रजनीश शास्त्री जी महाराज एवं नितिन गोयल प्रमुख रूप से शामिल हुए।।उन्होंने व्यास पीठ का पूजन कर कथा वाचक पंडित जगदीश पैन्यूली का शाल व श्रीफल से सम्मान किया।शिव महापुराण कथा में कथावाचक जगदीश पैन्यूली ने कहा कि इंसान को बनावटी नहीं होना चाहिए।बनावटी भाषा रिश्तों को तोड़ती है।जीवन में दिखावा नहीं आना चाहिए।झूठ नहीं बोलना चाहिए।शिव महापुराण विश्व का कल्याण करने वाली है।84 लाख योनियों में आखिरी योनी मनुष्य योनी है।ईश्वर केवल मनुष्य को ही सोचने और समझने की क्षमता देता है।मनुष्य का जन्म ईश्वर भक्ति के लिए हुआ है।शिव को पाने के लिए इंसान को गलत विचार,बुरी सोच,बुरी दृष्टि,खराब खाना,पीना और ऐसा पहनावा जो अच्छा नहीं होता है,उसे त्यागना होगा।सजावट, बनावट और दिखावट से दूर रहें।उन्होंने बताया कि बनावट की बात सनातन धर्म के लिए श्रेष्ठ नहीं है।श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए दिखावे की जिंदगी जरूरी नहीं है।आचार्य रजनीश शास्त्री जी महाराज ने भक्तों को अपने सम्बोधन में कहा शिव पिता हैं,यदि हमसे शिव पूजन में कोई कमी रह जाए तो वह अपने पुत्रों को माफ कर देते हैं।शिव सबके हैं।शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव किसी को श्राप नहीं देते।पार्वती उनके साथ रहती है।शिव पूजन के दौरान कमी रह भी जाए तो पार्वती उस कमी को पूरा कर देती हैं।उन्होंने कहा कि सजावट चार दिन की होती है।आंख बंद करके बैठने,चंदन का तिलक लगाने,अच्छे कपड़े पहनने,अच्छा गाने, मंदिर जाने और केवल कथा में बैठकर आने यानी दिखावे से भगवान की प्राप्ति नहीं होती है।परमात्मा से प्राप्ति के लिए दिल से ईश्वर की भक्ति जरूरी है।उन्होंने कहा कि काल महाकाल का कोई समय नहीं होता है,जिस प्रकार मृत्यु आने का कोई समय नहीं होता है।इस दौरान आचार्य अनुज नौटियाल,आचार्य दिनेश सेमवाल,आचार्य प्रकाश नौटियाल द्वारा पूजन सम्पन्न कराई गयी।भावना देवी,खुशी शर्मा, कृष्णा भटनागर,अंकित सेमवाल,पूजा सेमवाल, खुशी जोशी,मानवी शर्मा,समर भारद्वाज,गरिमा भारद्वाज,कृष्णा सैनी,वंशिका सैनी, कन्हैया सैनी,अनंत शर्मा,विकाश,तनु, वरुण,वंदना बलोनी,नीभा रावत,सविता नेगी,पूनम शर्मा,शालू भारद्वाज,निर्मला जोशी,हेमा नेगी,कुसुम सुनप्रियाल,बुद्धि प्रकाश सेमवाल,अंकित सेमवाल आदि भक्तगण मौजूद रहे।