उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला में एनसीआईएम चेयरमैन प्रो. बी.एल. मेहरा का प्रेरक व्याख्यान
हर्रावाला (देहरादून)। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में सोमवार को आयोजित आयुर–प्रवेशिका कार्यक्रम में राष्ट्रीय आयुष निर्यात एवं नियामक मंडल (एनसीआईएम) के चेयरमैन प्रो. बी.एल. मेहरा ने विद्यार्थियों के समक्ष आयुर्वेद के भविष्य और उसके वैश्विक महत्व पर संजीदा और प्रेरणादायक व्याख्यान दिया। समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी ने की।
धन्वंतरि वंदना से हुआ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत 2024 बैच की छात्राओं द्वारा पारंपरिक धन्वंतरि वंदना एवं दीप प्रज्वलन से हुई, जिसने पूज्यधर्म और संस्कारों की गरिमा को सजीव किया। परिसर निदेशक प्रो. पंकज शर्मा, डॉ. आकांक्षा गुप्ता तथा डॉ. रिचा शर्मा ने मुख्य अतिथि प्रो. मेहरा सहित सभी गणमान्य अतिथियों का पुष्पगुच्छ और सांस्कृतिक वेषभूषण के साथ हार्दिक स्वागत किया। स्वागत भाषण में प्रो. शर्मा ने प्रो. मेहरा के आयुर्वेद शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों तथा गुणवत्ता उन्नयन के प्रयासों पर खासा प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को अष्टांग आयुर्वेद की व्यापकता एवं निरंतर अभ्यास व आत्म-संयम से व्यक्तित्व विकास की प्रेरणा दी।
आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाने वाली नीतियां
मुख्य अतिथि प्रो. बी.एल. मेहरा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व में आयुर्वेद की स्वीकार्यता अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि एनसीआईएम द्वारा शैक्षणिक मानकीकरण, प्रशिक्षण व्यवस्थाओं और नीतिगत सुधारों के जरिए आयुर्वेद की गुणवत्ता को ऊंचाई पर ले जाने का निरंतर प्रयास हो रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों से परंपरागत आयुर्वेद के वैज्ञानिक पक्ष को समग्रता से समझते हुए आधुनिक चिकित्सकीय तकनीकों के समावेश की जरूरत पर ज़ोर दिया। युवा चिकित्सकों को देश की स्वास्थ्य सेवा में नैतिकता, कौशल और करुणामय दृष्टिकोण से योगदान देने का आवाहन किया।
कुलपति बोले- “आयुर्वेद जीवन दृष्टि व दर्शन है”
कुलपति प्रो. अरुण त्रिपाठी ने आयुर्वेद को केवल चिकित्सा प्रौद्योगिकी नहीं बल्कि जीवन के हर पहलू को समेटने वाला दर्शन बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि आयुर्वेद न केवल उपचार, बल्कि वेलनेस, जीवनशैली और आध्यात्मिकता का संपूर्ण विज्ञान है। शिक्षक-विद्यार्थी के मधुर संबंधों को शिक्षा का आधार बताते हुए विद्यार्थियों को अनुशासन, संवेदनशीलता और करुणा के साथ चिकित्सकीय यात्रा में निरंतरता बनाए रखने की प्रेरणा दी।
अन्य वरिष्ठ शिक्षकों और अधिकारियों ने दिए महत्वपूर्ण संदेश
कुलसचिव श्री नरेंद्र सिंह ने औषधि क्षेत्र में अनुशासन व व्यक्तित्व विकास की महत्ता पर जोर दिया, जबकि परीक्षा नियंत्रक प्रो. ओ.पी. सिंह ने विद्यार्थियों को परीक्षा प्रबंधन और चिकित्सकीय कर्तव्यनिष्ठा से अवगत कराया। नवप्रवेशित छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम को उचित मार्गदर्शक और प्रेरणादायक बताया।
डॉ. राजीव कुरेले के कुशल समन्वय में कार्यक्रम हुआ सफल
इंडक्शन प्रोग्राम संयोजक डॉ. राजीव कुरेले ने प्रोग्राम का संचालन सुव्यवस्थित, अनुशासित तथा संवादात्मक रूप में किया। उनकी फुर्तीली व्यवस्थापन क्षमता ने अतिथियों और विद्यार्थियों के बीच अर्थपूर्ण संवाद स्थापित किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अमित तमाड़ी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत कर सभी का आभार जताया।
उत्साहपूर्ण उपस्थिति से सजी शिक्षा दीक्षा
कार्यक्रम में 2025-26 बैच के विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर आयुर्वेद अध्ययन के प्रति गहरा उत्साह प्रदर्शित किया। साथ ही विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षकगण व विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे, जिनमें डॉ. एस.पी. सिंह, डॉ. ईला तन्ना, डॉ. अखिल जैन, डॉ. सुनील पांडे, डॉ. अर्चना सिंह समेत कई अन्य नामी शिक्षक शामिल थे। उनकी मौजूदगी ने शिक्षा प्रदाय के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया।
इस प्रकार उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में आयोजित इस प्रवेशन समारोह ने छात्रों के मन में आयुर्वेद के प्रति नयी ऊर्जा भरते हुए उन्हें भविष्य के चिकित्सकीय सेवा के लिए प्रेरित किया।










